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PCOD – पीसीओडी Kya Hota Hai?
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पीसीओडी शब्द आपने अपने जीवन में कई बार सुना होगा। लेकिन क्या आप PCOD meaning in Hindi के बारे में जानते हैं? अगर नहीं, तो सबसे पहले हम जान लेते हैं कि पीसीओडी क्या बीमारी है। इस सवाल का जवाब ये है कि हर महीने अंडाशय के अंदर एक अंडा परिपक्व होता है और शुक्राणु द्वारा फर्टिलाइज होने की उम्मीद में फैलोपियन ट्यूब के नीचे अपना रास्ता बनाता है। कभी-कभी ये अंडे पूरी तरह से परिपक्व यानी मैच्योर नहीं होते हैं। अंडाशय में इस तरह के अपरिपक्व या आंशिक रूप से परिपक्व अंडे का निर्माण पीसीओडी या पॉलीसिस्टिक डिम्बग्रंथि रोग को जन्म देता है। PCOD full form in Hindi Polycystic ovary syndrome यानी पॉलीसिस्टिक डिम्बग्रंथि रोग भी कहा जाता है। ये अंडे समय के साथ सिस्ट यानी गांठ में बदल सकते हैं। ये कैंसर जैसा लग सकता है, लेकिन ऐसा नहीं होता। गांठ आमतौर पर नरम होती हैं और केवल शरीर के हार्मोन के उत्पादन में हस्तक्षेप करती हैं।
PCOD problem in Hindi के बारे में विस्तार से जान लेते हैं। इसका मतलब ये है कि पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज 12 से 45 साल की उम्र की लगभग 10 फीसदी महिलाओं को प्रभावित करती है। ये आपके मासिक धर्म चक्र को बाधित कर सकती है, गर्भधारण करने की क्षमता को कम कर सकती है और जीवनशैली तक पर प्रभाव डाल सकती है। अब आप इतना तो जान ही गए होंगे कि PCOD kya h । वहीं अब इसके आगे के उपाय के बारे में बात करते हैं। Polycystic ovary disease का अगर वक्त पर इलाज ना कराया जाए, तो यह मधुमेह, मोटापा और हाई कोलेस्ट्रॉल का कारण बन सकता है। जो सभी तरह के हृदय रोग का कारण बनते हैं। लेकिन चिंता की कोई बात नहीं है। PCOD in Hindi एक ऐसी स्थिति है जिस पर आप नियंत्रण कर सकते हैं। PCOD ka full form in Hindi के बारे में तो अब आपने जान ही लिया है। हालांकि इसका इलाज कराने के लिए आपको सही प्लानिंग और लाइफस्टाइल की जानकारी हासिल करनी होगी। ऐसे में इलाज से पहले आपको ये जान लेना बेहद जरूरी है कि पीसीओडी क्या है। बीमारी की सही स्थिति जानने के बाद इसका इलाज कराना ही बेहतर रहता है।
तो चलिए अब PCOD symptoms in Hindi के बारे में जान लेते हैं। पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम में कई बाहरी लक्षण भी दिखते हैं। ये आमतौर पर होता है, लेकिन सबसे पहले आंतरिक लक्षणों पर ध्यान देना होता है। Symptoms of PCOD in Hindi के बारे में जानना तो जरूरी ही है। साथ ही उसके बारे में जागरुकता होना भी जरूरी है। उदाहरण के तौर पर एक रिपोर्ट के मुताबिक, भोपाल में फर्टिलिटी क्लिनिक में काम करने वाली एक महिला ने कहा कि, “हमारे पास आने वाली महिलाओं में अधिकतर नई दुल्हनें होती हैं, जिन्हें शादी के कुछ महीनों के बाद ससुराल वाले ही यहां तक लेकर आते हैं। वो पूछते हैं, ‘वो गर्भवती क्यों नहीं हो रही है?’ हम अल्ट्रासाउंड करते हैं और इसका कारण हमेशा एक ही होता है, पीसीओडी या पीसीओएस। बाद में PCOD ke lakshan in Hindi पता चलने के बाद मालूम होता है कि लड़की की पीरियड्स ठीक से नहीं हो रहे थे। इनमें अनियमित्ता दिख रही थी। PCOD kaise hota hai यह पता चलने के बाद वजह मालूम होती है कि महिला को बच्चा इसी की वजह से नहीं हो रहा है। जिसके बाद उसे इसका इलाज मिल पाता है।”
जब भी आपके जहन में ये सवाल आए कि PCOD kya hai in Hindi तो इसका इलाज ये है कि इससे पीड़ित शख्स को अनचाही जगहों पर बाल आने लगते हैं या फिर वजन बढ़ने लगता है। ऐसी ही स्थितियों में ही महिलाएं डॉक्टरों के पास जाती हैं। ऐसी स्थिति में जब महिलाओं को शक होता है कि पीसीओडी क्या है, तो वह डॉक्टर से यही पूछने आती हैं कि PCOD thik hone ke lakshan in Hindi क्या होते हैं। भले ही ये लक्षण पीरियड्स के अनियमित होने के बाद दिखते हैं, लेकिन इसका इलाज वक्त पर होना बेहद जरूरी है। रिपोर्ट में एक अन्य महिला के हवाले से लिखा गया है, “मेरी मां का कहना है कि पीरियड्स का अनियमित तौर पर होना, एक आम बात है। यह किशोरावस्था के आखिर में होता है। इससे मेरा वजन बढ़ता रहा था और हमें शादी के लिए लड़का देखना होता है। तभी इलाज के लिए स्त्री रोग विशेषज्ञ के पास जाने की आवश्यकता होती है।” PCOD kya bimari hai हमने जान लिया है। तो चलिए अब इसके प्रमुख लक्षणों के बारे में जान लेते हैं।
पीसीओडी के मुख्य लक्षण
पीसीओडी के मुख्य लक्षण ये हैं-
- चेहरे पर मुंहासे निकलना
- वजन का बढ़ जाना और फिर उसके कम होने में दिक्कत आना
- चेहरे और शरीर पर अधिक बाल आना
- चेहरे पर घने बाल आना
- कई बार काले बाल छाती, पेट और पीठ पर आना
- सिर पर बाल कम हो जाना
- अनियमित पीरियड्स होना
पीसीओडी की बीमारी में ऐसा भी होता है, जब कई लोगों को पीरियड्स नहीं आते हैं। इसके अलावा इस बीमारी में कुछ लोगों को पीरियड्स के दौरान काफी ज्यादा ब्लीडिंग होती है और बहुत बार अधिक और दर्दनाक ब्लीडिंग का भी सामना करना पड़ता है। इसकी वजह से प्रजनन संबंधी दिक्कतें पैदा होने लगती हैं। पीसीओडी की समस्या से जूझ रहीं कई महिलाओं को ओव्यूलेशन की समस्या के कारण गर्भवती होने में दिक्कतें आती हैं।
डिप्रेशन और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं पीसीओडी के प्रमुख लक्षणों में से एक होती हैं। इसके अलावा आपको ये बात जानकर भी हैरानी हो सकती है कि अधिकांश हार्मोनल असंतुलन से संबंधित बीमारियों के साथ ही मानसिक बीमारियां भी जुड़ी होती हैं। अगर आप इसके कारण दैनिक जीवन की गतिविधियों में बाधा का सामना करते हैं, तो प्रोफेशनल मदद भी ले सकते हैं।
इसके अलावा महिलाएं भी वजन बढ़ने के चलते परामर्श लेना पसंद करती हैं। वजन बढ़ना सबसे सामान्य लक्षणों में से एक माना जाता है। रिपोर्ट के अनुसार, एक महिला कहती है, “हम ऐसा आमतौर पर देखते हैं कि लड़कियां खुद को भूखा रखती हैं, वो खुद से नफरत करने लगती हैं। उनके परिवार के लोग गलत बातें कहते हैं, उन्हें अलग-अलग नामों तक से पुकारा जाता है, ऐसा कहते हैं कि उनसे कोई शादी नहीं करेगा। बहुत अधिक खाने के लिए उन्हें शर्म तक आने लगती है, चाहे फिर वो ना ही खा रही हों, फिर भी। वजन बढ़ने में उनकी कोई गलती नहीं होती है। उनके हार्मोन उनके शरीर को गलत तरीके से वसा जमा करने का कारण बन जाते हैं।” इस तरह जितना अधिक वजन बढ़ता है, पीसीओडी उतना ही गंभीर होने लगता है। ये एक तरह का दुष्चक्र है, इसमें कई महिलाएं फंस जाती हैं। इस चक्र को तोड़ने का एक ही तरीका है और वो है नियमित स्वास्थ्य जांच।
पीसीओडी का इलाज
PCOD kaise thik kare इस सवाल का जवाब यही है कि इसका इलाज क्लिनिकल होता है। पीसीओडी का इलाज संभव है और इसके लिए हार्मोन्स की जानकारी रखना बेहद आवश्यक है। पीसीओडी का उपचार करने के लिए ओरल ग्लूकोज टॉलिरेंस टेस्ट इंसुलिन को कारगर माना जाता है। यह एक तरह से प्रतिरोध के तौर पर कार्य करता है। इस बीमारी के बारे में पता लगाने के लिए पाथो-फिजियोलॉजी टेस्ट भी होता है। इसके अलावा पीसीओडी का इलाज करने के लिए हार्मोनल संतुलन टेस्ट को भी बेहतर ही समझा जाता है। लोगों के जहन में ये सवाल अकसर बना रहता है कि PCOD इलाज संभव है या नहीं। तो इसका जवाब है कि PCOD का इलाज संभव है।
पीसीओडी diet भी अच्छी होनी चाहिए। मरीजों को संतुलित आहार लेना चाहिए। आहार में ताजे फल और सब्जियां शामिल करें, जिससे उचित पोषण मिल सके। भूख को संतुष्ट करने और भोजन की लालसा को कम करने में मदद करे। यह एक संतुलित आहार बनाए रखने में मदद करेगा जो अतिरिक्त वजन नहीं बढ़ने देगा।
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